दिल्ली चुनाव में Arvind Kejriwal की हार के पीछे के क्या कारण रहे थे
8 फरवरी 2025 को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए और Arvind Kejriwal की आम आदमी पार्टी (AAP) को भारी हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता मे वापसी करी है जो की बहुत लंबा समय रहा BJP के लिए ।
आपको बता दें कि AAP के कई सारे नेता, जिनमें Arvind Kejriwal खुद भी शामिल हैं, अपने-अपने क्षेत्रों में Election हार गए। यह हार न केवल AAP के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि दिल्ली की जनता ने kejriwal को छोड़ दिया? आइए, इस हार के पीछे के कारणों को समझते हैं।
1. Voters के मन मे बदलाव
AAP ने दिल्ली में लगातार दो बार सरकार चलाई और इस बार तीसरी बार जीतने की कोशिश करी थे। लेकिन, 10 साल के शासन के बाद Voters में एक थकान और बदलाव की चाहत देखी गई। आम आदमी पार्टी की यह दलील थी की केंद्र सरकार उनके काम में रोड़े अटका रही है, Voters को अब ये समझ आगया की अगर आम आदमी पार्टी को फिर से मौका दिया गया तो दिल्ली मे क्या ही बदलेगा, क्योंकि केंद्र में तो BJP ही रहेगी ।
2. Arvind Kejriwal Scam: ‘शीश महल’ और लिकर स्कैम
Arvind Kejriwal और AAP की छवि एक ईमानदार और Anti corruption पार्टी की थी, लेकिन लिकर पॉलिसी घोटाले और मुख्यमंत्री आवास के 33 करोड़ रुपये के नवीनीकरण (‘शीश महल’) ने इस छवि को धूमिल कर दिया। BJP ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया और Voters को यह समझाया कि आम आदमी पार्टी अब वह पार्टी नहीं रही, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का दावा करती थी।
3. AAP को हारने मे Congress का हाथ
इस चुनाव में Congress ने AAP के ऊपर कही तरीकों से हमले किए है । राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने केजरीवाल पर corruption और यमुना नदी की सफाई जैसे मुद्दों पर हमला बोला। कांग्रेस के उम्मीदवारों ने AAP के वोट बैंक को काफी नुकसान पहुंचाया, खासकर नई दिल्ली और जंगपुरा जैसे क्षेत्रों में, जहां कांग्रेस के उम्मीदवारों ने आम आदमी पार्टी के वोट काटे है ।
4. बुनियादी ढांचे की उपेक्षा
AAP ने मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी योजनाओं से Voters का दिल जीत लिया, लेकिन बुनियादी ढांचे के मुद्दों पर उनकी उपेक्षा ने लोगों को नाराज कर दिया। दिल्ली की सड़कें, नालियां और कूड़ा प्रबंधन की हालत खराब होती गई, और Voters ने आम आदमी पार्टी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और इनका साथ छोड़ दिया ।
5. Kejriwal का Leadership style
Kejriwal की गिरफ्तारी और उनके बाद अतिशी का मुख्यमंत्री बनना AAP के लिए एक बड़ा झटका था। पार्टी के भीतर भी कई नेताओं ने केजरीवाल के leadership style पर सवाल उठाए और पार्टी छोड़ दी। इससे आम आदमी पार्टी की छवि और organizational structure दोनों को नुकसान पहुंचा ।
6. BJP की Strategy: मोदी की गारंटी
BJP ने इस चुनाव में ‘मोदी की गारंटी’ को अपना नारा बनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं ने BJP को Voters का भरोसा जीतने में मदद की। साथ ही, BJP ने आम आदमी पार्टी के मुफ्त सुविधाओं के मॉडल को अपनाते हुए यह वादा किया कि वे इन योजनाओं को जारी रखेंगे, लेकिन भ्रष्टाचार के बिना।
7. Voter List में बदलाव
चुनाव से पहले AAP ने voter list में बड़े पैमाने पर हुए बदलावों पर सवाल उठाए थे। नई दिल्ली जैसे क्षेत्रों में voter की संख्या में कमी देखी गई, जिससे आम आदमी पार्टी के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा। इसके अलावा, BJP ने लुटियंस जोन में अपने कर्मचारियों के नाम Voter List में जोड़े, जिससे उन्हें फायदा हुआ।
8. AAP के Main वोट बैंक पर Attack
वाल्मीकि समुदाय, जो AAP का प्रमुख वोट बैंक था, इस बार BJP के साथ खड़ा हुआ दिखा। उनकी शिकायत थी कि आम आदमी पार्टी ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया है । इसी तरह, पहाड़ी समुदाय के लोगों को लुभाने के लिए BJP ने उत्तराखंड और हिमाचल के नेताओं को मैदान में उतारा ताकि आम आदमी पार्टी को गिरा सके ।
9. AAP के झूठे दावे
AAP ने यमुना नदी के प्रदूषण और election Commission पर negative प्रचार किया था , जिससे Voters नाराज हो गए । केजरीवाल का दावा था कि यमुना को साफ कर दिया गया है, लेकिन ऐसा नहीं था, क्योंकि नदी की हालत में कोई सुधार नहीं देखा गया ये भी एक वजह थी की लोगों ने आम आदमी party को खारिज कर दिया।
10. Middle class लोगों का साथ खोना
middle class, जो पहले AAP का समर्थक था, इस बार BJP के साथ खड़ा दिखाई दिया। केजरीवाल की शिकायतों और भ्रष्टाचार के आरोपों ने इस class को आम आदमी पार्टी से दूर कर दिया। BJP ने इस class को अपने साथ जोड़ने के लिए बजट 2025 में आयकर छूट जैसे ऐलान कर दिए थे।
conclusion
दिल्ली चुनाव में AAP की हार के पीछे कई कारण हैं, जिनमें एंटी-इनकम्बेंसी, भ्रष्टाचार के आरोप, कांग्रेस का रोल, और BJP की मजबूत रणनीति शामिल हैं। केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को अब अपनी गलतियों से सीख लेते हुए भविष्य की रणनीति बनानी होगी। यह हार न केवल आम आदमी पार्टी के लिए एक सबक है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में बदलाव की ओर भी इशारा करती है।
दिल्ली की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है, और अब यह आम आदमी पार्टी पर है कि वह इस हार से क्या सीखती है और भविष्य में कैसे एक बेहतर option बनकर उभरती है।